BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।

अथवा
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
अथवा
अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक सुधारों का आलोचानात्मक परीक्षण कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अलाउद्दीन खिलजी की लगान व्यवस्था के सुधारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
2. अलाउद्दीन की बाजार नियन्त्रण व्यवस्था में किए गए सुधारों को स्पष्ट कीजिए।
3. अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था का मूल्याँकन गुण-दोष के आधार पर कीजिए।

उत्तर -

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1816 ई.) के प्रशासनिक सुधार

अलाउद्दीन ने अपने चाचा और ससुर जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर सुल्तान का पद पाया था। अतः उसे स्वयं को अपनी महत्वाकांक्षा के योग्य सिद्ध करना था। वह इसमें सफल भी रहा। अलाउद्दीन एक दूरदर्शी व्यावहारिक राजनेता और महान प्रशासक था। उसने अपने शासन के पूर्व प्रचलित शासन व्यवस्था का बारीकी से मूल्यांकन किया और इसमें उसने व्यापक सुधार किए। उसके द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण सुधार निम्न प्रकार से हैं -

1. लगान व्यवस्था में सुधार - अलाउद्दीन ने लगान व्यवस्था के सम्बन्ध में व्यापक सुधार किए। इसका मुख्य कारण उसकी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा की तुष्टि और मंगोल आक्रमण के भय से सामना करने के लिए एक बड़ी स्थायी सेना का निर्माण के लिए आर्थिक संसाधनों में अभिवृद्धि और विद्रोही हिन्दू तत्त्वों की ताकत समाप्त करना था। किसान और राज्य के मध्य पनपे बिचौलिया वर्ग ने राज्य की आय को काफी कम कर दिया था और इस आय पर पैतृक हिन्दू अधिकारियों खूत, मुकद्दम, चौधरी का कब्जा था। अलाउद्दीन ने राज्य से सहायता और वेतन के रूप में पाई गई जागीरों का उपभोग कर रहे अनुत्पादक वर्ग पर तीखी नजर करते हुए उन्हें इन जागीरों से अपदस्थ कर दिया और वेतन को नकद देने का चलन शुरू किया। यहाँ तक कि तत्क आदि धर्मार्थ जागीरें भी जब्त कर ली गई। उसने राजस्व सुधार हेतु निम्न कार्य किए-

(i) राजस्व विषयक उसका पहला अधिनियम जाबिता (कृषि योग्य भूमि) से सम्बन्धित था, जिससे कि भूमि की पैमाइश के आधार पर लगान का निर्धारण किया जा सके। बिस्वा को पैमाइश की मानक इकाई निर्धारित किया गया।

(ii) प्रति बिस्वा उपज के आधे भाग को राज्य का हिस्सा या लगान के रूप में निर्धारित किया गया।

(iii) सुल्तान ने मुखियों और लगान वसूल करने वाले हिन्दू अधिकारियों जैसे कि खूत, मुकद्दम एवं चौधरियों के विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया। इन्हें अन्य सामान्य कृषकों की भाँति समान दर पर लगान एवं दरों को अदा करने के लिए बाध्य किया गया।

(iv) लगान या भू-राजस्व के अतिरिक्त कृषक जनता पर गृहकर (घरी) एवं चारागाह कर (चरी) भी आरोपित किए गए।

(v) अधिकाँश छोटी इक्ताओं को समाप्त कर दिया गया और इनसे प्राप्त जमीनों को खालिसा (राजभूमि या केन्द्र द्वारा नियन्त्रित भूमि) के अंतर्गत लाया गया।

(vi) खालिसा भू-क्षेत्रों से लगान सीधे राज्य द्वारा वसूल किया जाने लगा।

(vii) बाजार नियन्त्रण व्यवस्था की सफलता के लिए लगान को फसल या जिस के रूप में वसूल किया जाने लगा और किसानों को अपनी शेष उपज को खेतों में ही बेचने के लिए बाध्य किया गया, जिससे कि वे अनाज की जमाखोरी न कर सकें।

2. बाजार नियन्त्रण व्यवस्था या आर्थिक अधिनियम - अलाउद्दीन खिलजी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुधार बाजार नियन्त्रण व्यवस्था थी। सुल्तान ने समकालीन बाजारों पर राज्य के पूर्ण नियन्त्रण की स्थापना की, अतः तत्सम्बन्धी सुधारों को बाजार नियन्त्रण व्यवस्था कहा जाता है। इस व्यवस्था को सुचालित करने के लिए जो नियम लागू किए गए, वे आर्थिक अधिनियम कहलाते हैं। इन क्रान्तिकारियों एवं अनूठे कार्यों को लागू करने के पीछे सुल्तान के उद्देश्यों या बाजार नियन्त्रण व्यवस्था के क्रियान्वयन के कारणों के बारे में विवाद हैं। इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी के अनुसार इन सुधारों को लागू करने के पीछे मूलभूत उद्देश्य मंगोलों का मुकाबला करने के लिए एक विशाल एवं शक्तिशाली सेना खड़ी करना था बरनी के अनुसार जब तक वस्तुओं की कीमतों को कम नहीं किया जाता, तब तक राज्य के सामान्य वित्तीय साधनों के द्वारा इतनी विशाल सेना को गठित एवं संतुष्ट नहीं रखा जा सकता था। इस प्रकार बरनी के अनुसार आर्थिक अधिनियमों को सैनिक जरूरतों को दृष्टिगत करके लागू किया गया था। परन्तु बरनी का विचार बहुत प्रभावशाली नहीं प्रतीत होता, क्योंकि इस व्यवस्था के अंतर्गत ऐसी अनेक वस्तुओं की कीमतें निर्धारित की गई, जिनका, सैनिकों द्वारा केवल नाममात्र के लिए या बिल्कुल ही उपभोग नहीं किया जाता था। इसके अतिरिक्त सैनिक आवश्यकताओं मात्र के लिए इतनी व्यापक व्यवस्था को लागू करने की जरूरत भी नहीं थी। अतः अलाउद्दीन खिलजी के समकालीन इतिहासकार अमीर खुसरो का इस सम्बन्ध में विचार अधिक विश्वसनीय एवं तार्किक लगता है। खुसरो का कहना है कि सुल्तान ने इन सुधारों को 'सामान्य जन-कल्याण की दृष्टि से लागू किया था। खुसरो के अनुसार इन सुधारों का लक्ष्य सामान्य लोगों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति तथा साथ ही अकाल का सामना करने के लिए निर्धारित दरों पर शाही गोदामों के लिए खाद्यान्न संग्रह सुनिश्चित करना था। बाजार नियंत्रण के लिए सुल्तान द्वारा लागू किए गए 'आर्थिक- अधिनियम' निम्नलिखित थे-

(i) खाद्यान्न से लेकर घोड़ों, पशुओं तथा दासों आदि विभिन्न वस्तुओं की कीमतें राज्य द्वारा निर्धारित की गई। राज्य की अनुमति के बिना वस्तुओं के मूल्य में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता था

(ii) विभिन्न वस्तुओं के लिए चार अलग-अलग बाजार स्थापित किए गए - केन्द्रीय खाद्यान्न बाजार, उत्पादित वस्तुओं का बाजार, सामान्य वस्तुओं का बाजार तथा घोड़ों, पशुओं और दासों का बाजार।

(iii) प्रत्येक बाजार 'शुहना-ए-मण्डी' या बाजार नियन्त्रक के अधीन होता था और सभी व्यापारियों को राज्य द्वारा पंजीकृत किया जाता था। सुल्तान को तीन स्वतन्त्र स्रोतों-शुहना बरीदों (खुफिया अधिकारियों) और मुंशियों (गुप्तचरों) से बाजारों के बारे में सूचना मिलती रहती थी।

(iv) धोखाधड़ी तथा कम तौलने के लिए बहुत कठोर दण्ड निर्धारित किए गए थे।

(v) महंगी या आयातित वस्तुओं की कीमतें कम करने के लिए राज्य द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती थी। ऐसी सहायता प्राप्त वस्तुएं राज्य द्वारा नियुक्त अनुज्ञप्ति अधिकारी (परवाना रईस) द्वारा प्रदत्त परमिट या अनुज्ञप्ति-पत्र के द्वारा ही खरीदी जा सकती थीं।

(vi) अकाल, सूखा या खाद्यान्न के अभाव होने पर राशन देने की भी व्यवस्था थी। प्रसिद्ध इतिहासकार बर्नी का कथन है- "अलाउद्दीन का बाजार नियंत्रण शाही सैनिकों के लिए और राजकोष की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए था।।

अलाउद्दीन की बाजार नियंत्रण व्यवस्था से सुल्तान और प्रजा दोनों को ही व्यावहारिक लाभ हुआ। प्रजा अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदकर सुखपूर्वक रहने लगी तथा सुल्तान के निरंकुश होते हुए भी उसकी प्रजा उसकी प्रशंसा करने लगी। राजकोष में भी धन की वृद्धि होने लगी जिसके परिणामस्वरूप सुल्तान अपनी विशाल सेना रखने में समर्थ हो सका। सुसंगठित, सुव्यवस्थित और स्थायी सेना की सहायता से अलाउद्दीन ने सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला तथा मंगोलों के आक्रमणों को विफल कर दिया।

यदि अलाउद्दीन ने बाजार नियन्त्रित करने की नीति न अपनायी होती तो वह 4 लाख से अधिक स्थायी सैनिकों की व्यवस्था न कर पाता। इतनी विशाल सेना को रखने में उसका शाही खजाना रिक्त हो जाता और साम्राज्य की आर्थिक दशा शोचनीय हो जाती। यदि उसके पास विशाल सेना न होती तो वह उत्तरी और दक्षिणी भारत को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार न कर पाता और न ही वह भारत से मंगोलों को खदेड़ पाने में सफल हो पाता।

अलाउद्दीन के आर्थिक अधिनियम, सल्तनत काल की महानतम प्रशासनिक उपलब्धि हैं। जहाँगीर के शासनकाल में लिखते हुए फरिश्ता ने यह टिपणी की है : "अलाउद्दीन के शासन के अन्त तक ये कीमतें स्थिर रहीं तथा वर्षा के अभाव में या अन्य कारणों से उनमें कोई परिवर्तन नहीं आया। यह एक अनुपम तथा विस्मयकारी उपलब्धि थी। इन आर्थिक सुधारों की सफलता प्रमुख रूप से सुल्तान की प्रतिभा तथा व्यक्तिगत मनोयोग के कारण सम्भव हो सकी परन्तु उसकी मृत्यु के साथ इन सुधारों का भी अन्त हो गया। अलाउद्दीन की बाजार व्यवस्था के स्थायी न रह पाने का मुख्य कारण यह था कि यह अधिनियम अर्थशास्त्र के सुस्थापित सिद्धान्तों पर आधारित नहीं थे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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